लंबे समय से चल रहे ड्राई स्पैल से हिमाचल प्रदेश में आगजनी की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। पिछले तीन दिनों से तिब्बत बॉर्डर से सटे किन्नौर जिला के जनजातीय लोगों की आर्थिकी से जुड़े दुर्लभ प्रजाति के चिलगोजा के जंगलों में लगी आग से स्थानीय लोगों को इस बार भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। किन्नौर के पूह उपमंडल की जंग गांव में पिछले तीन दिनों से आग कहर बरपा रही है, जिससे कम पेड़-पौधों वाले इस क्षेत्र में बेहद दुर्लभ चिलगोजा के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है। चिलगोजा के जंगलों की आग को बढ़ता देख गांववालों के सहयोग के लिए आईटीबीपी, फायर ब्रिगेड और पुलिस भी जुटी हुई है, लेकिन आग का दायरा बड़ा होने और बड़े पेड़ों के आग की चपेट में आने की वजह से इसे काबू करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जंगी गांव की एफआरए कमेटी के अध्यक्ष रोशन लाल ने बताया कि यह आग नेशनल हाईवे 05 से ओल्ड हिंदुस्तान तिब्बत रोड के बीच में फैली हुई है। इसमें लगभग 300 बीघा जमीन में फैले वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि इस आग की घटना से लगभग 20 हजार से अधिक पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा है। जिसमें 10 हजार के करीब चिलगोजा के पेड़ भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस आग पर काबू पाने के लिए आस पास के गांवों के हजारों लोग प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं लेकिन अभी तक आग पर काबू नहीं पाया गया है। रोशन लाल ने बताया कि इस आग में चिलगोजा के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि चिलगोजा का पेड़ 25 साल बाद फल देना शुरू करता है और हजारों सालों तक खड़ा रहता है, लेकिन इस आग की घटना में सदियों पुराने पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा है।
जंगी क्लब के प्रधान बुद्धा सेन नेगी ने बताया कि हमारा क्षेत्र बहुत संवेदनशील है और यहां हवाएं भी बहुत तेज चलती हैं इससे आग को और अधिक बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस घटना में चिलगोजा के बहुत से पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है जिससे निकट भविष्य में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। वहीं जिला उपायुक्त आबिद हुसैन का कहना है कि आग की घटना की सूचना के बाद सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर आग पर काबू पाने का काम किया जा रहा है।
गौर रहे कि जंगी वही गांव है जहां के लोग पावर प्रोजेक्टों को विरोध कर रहे हैं और इसके लिए क्षेत्र के लोगों ने नो मिन्स नो कैंपेन भी शुरू किया है। इस गांव में सरकार की ओर से 804 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके अलावा यहां से पावर ट्रांसमिशन लाइन भी बिछाना भी प्रस्तावित है।
हिम लोक जागृति मंच के अध्यक्ष जिया लाल नेगी ने बताया कि चिलगोजा भारत के बहुत कम क्षेत्र में होता है और उसमें किन्नौर का जंगी एरिया भी आता है। ऐसे में यहां पर आग की घटना से इस दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र पर सरकार पावर प्रोजेक्ट बनाने पर विचार कर रही है, जिससे चिलगोजा के पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचेगा। इसका सीधा असर लोगों की आर्थिकी पर होगा।
चिलगोजा भारत में केवल किन्नौर एरिया में पाया जाता है, भारत में केवल किन्नौर और किन्नौर में भी केवल टापरी से डूबलींग के बीच के क्षेत्र में पाया जाता है। किन्नौर के चिलगोजा में खासकर जंगी के चिलगोजे की दिल्ली की खारी बावली मंडी में खास मांग रहती है और इसे सबसे अच्छा चिलगोजा माना जाता है। चिलगोजा सबसे लेट तैयार होने वाला ड्राई फ्रूट है और तैयार होने में 18 माह का समय लगता है। चिलगोजा गुणवत्ता के हिसाब से 500 से 2000 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बिकता है। इसे अंग्रेजी में पाइन नट के नाम से जाना जाता है। मंहगे सूखे मेवे के रूप में पहचाने वाला चिलगोजा मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है। यह दिल के लिए लाभदायक है व वजन को नियंत्रित रखने, कोलेस्ट्रोल कम करने, कैंसर से बचाव, मैंटल हैल्थ के लिए बेहतर, हड्डियों को मजबूत करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने में भी लाभदायक है।
हिमाचल प्रदेश में आग की घटनाओं के आंकडों में नजर डालें तो पिछले साल के मुकाबले इस बार दोगुना आग की घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले साल 1140 आग की घटनाएं पूरे प्रदेश में देखी गई थी, जबकि इस साल 2200 से अधिक आग की घटनाएं घटित हो चुकी हैं। इसके पीछे तापमान में हो रही बढ़ोतरी और कम बारिश बड़ा कारण माना जा रहा है। इसलिए समय आ गया है कि हम पर्यावरण में आ रहे बदलावों को समझें और भविष्य में आगजनी की घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रयासों में तेजी लाए।