खाने-पीने की वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण खाद्य महंगाई दर अप्रैल में 15 प्रतिशत के आंकड़े को पार कर गई है।अब देश में महंगाई दर 15.07 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि देखी गई जिस कारण खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति 8.35 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति 38.66 प्रतिशत रही, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.85 प्रतिशत और 16.10 प्रतिशत रही. कच्चे पेट्रोलियम पदार्थों और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति अप्रैल में 69.07 प्रतिशत रही। अप्रैल माह में महंगाई दर पिछले 24 सालों में दर उच्चतम स्तर पहुंच गई है।
थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुसार पिछले अप्रैल में यह दर 10.74 प्रतिशत थी। इस साल मार्च में भी महंगाई दर में खासा उछाल देखने को मिला था। अप्रैल में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों और रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण रही। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वीपाआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार दोहरे अंक में बनी हुई है।
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चलता है कि खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8 साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो लगातार चौथे महीने रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर रही। हालांकि बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी लेकिन इससे कोई सुधार आता नहीं दिख रहा है। बढ़ती महंगाई से गरीब और मध्यमवर्ग को बड़ा झटका लगा है और रसोई चलाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है।