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कीटनाशक अवशेषों के स्तर को कम करने के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाए

कीटनाशक अवशेषों पर अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना (ए॰आई॰एन॰पी॰ ऑन पीआर) की 30वीं वार्षिक समीक्षा बैठक सोमवार को डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आरंभ हुई। वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों से संचालित एआईएनपी के 18 केंद्रों के सदस्य इस दो दिवसीय बैठक में भाग ले रहे हैं।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल मुख्य अतिथि रहे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डीडीजी क्रॉप साइंस डॉ. टी.आर. शर्मा और एडीजी प्लांट प्रोटेक्शन और बायोसेफ्टी डॉ. एससी दुबे ने बैठक में ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया।

परियोजना का उद्देश्य बहु-स्थानीय पर्यवेक्षित क्षेत्र परीक्षण के आधार पर अच्छी कृषि पद्धतियों की सिफारिश करके कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग के लिए प्रोटोकॉल विकसित करना है। डेटा का उपयोग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) के निर्धारण के लिए भी किया जाता है। यह उचित सुरक्षित प्रतीक्षा अवधि और फसल पूर्व अंतराल पर सलाह देता है ताकि खाद्य वस्तुओं में अवशेष निर्धारित सुरक्षित सीमा के भीतर अच्छी तरह से रहें।

डॉ. रविंदर शर्मा, निदेशक अनुसंधान ने इस मौके पर सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों का महत्व बताया। सभा को संबोधित करते हुए प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि भले ही देश कीटनाशकों के औसत उपयोग में विषय में वैश्विक स्तर की तुलना में नीचे हो परंतु समय है की हमें इस औसत पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा की देश के प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर रासायनिक आधारित खेती के वैकल्पिक समाधान खोजने की आवश्यकता पर जोर दिया है, क्योंकि मौजूदा तकनीक ने मिट्टी और पानी की गुणवत्ता को कम कर दिया है।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गुणवत्ता डेटा तैयार करने में पूरे भारत में 18 केंद्रों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हुए प्रोफेसर चंदेल ने छात्रों के माध्यम से विश्लेषण के लिए हिमाचल से दूध के नमूने बढ़ाने का सुझाव दिया क्योंकि फ़ीड बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों से ही आती है। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि एआईएनपी ऑन पीआर केंद्रों को आईसीएआर और परियोजना के तहत अनुसंधान के अपने क्षेत्रों का विस्तार करना चाहिए और अवशेषों के विश्लेषण का अध्ययन करने के लिए प्राकृतिक खेती का अभ्यास करने वाले किसानों के खेतों से नमूने एकत्र करने चाहिए।

प्रो. चंदेल ने कहा कि अनधिकृत कीटनाशकों और मिश्रित कमपाउंड ने एक बड़ी चुनौती पेश की क्योंकि किसान कम समय में विभिन्न रसायनों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से भविष्य की चुनौतियों के साथ अपने काम को संरेखित करने और अन्य विभागों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया।

कार्यशाला के दौरान एआईएनपी ऑन पीआर की नेटवर्क समन्वयक डॉ. वंदना त्रिपाठी ने योजना की समग्र उपलब्धि और प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने देश में खाद्य सुरक्षा और व्यापार पर कीटनाशक अवशेष परियोजना के महत्व और प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में परियोजना के तहत उत्पन्न डेटा का उपयोग देश में किसानों द्वारा उनके उपयोग के लिए सी॰आई॰बी॰आर॰सी॰ द्वारा नए कीटनाशकों के पंजीकरण की मंजूरी के लिए किया जा रहा है।

अपने संबोधन में डॉ. टी.आर. शर्मा और डॉ. एस.सी. दुबे ने इस क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और व्यापार बढ़ाने के लिए कम एमआरएल सुनिश्चित करने के लिए अच्छी कृषि पद्धतियों का पालन करने की आवश्यकता की वकालत की। डॉ. शर्मा का विचार था कि भले ही कीटनाशकों का उपयोग दुनिया की तुलना में कम हो लेकिन गैर-विवेकपूर्ण और गैर-अनुशंसित रसायनों का उपयोग एक बड़ी चुनौती है जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है। उन्होंने सहयोगी अध्ययनों के माध्यम से राजस्व सृजन के लिए एआईएनपी ऑन पीआर और इसके तहत 13 एन॰ए॰बी॰एल॰ मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं स्थापित करने पर सराहना की।

इस अवसर पर चार प्रकाशन भी जारी किए गए: डॉ जेके दुबे, डॉ सपना कटना और डॉ अजय शर्मा द्वारा लिखित कीटनाशक अवशेषों पर एआईएनपी सोलन केंद्र-एक नज़र और कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग और डॉ. के.के. शर्मा और डॉ. वंदना त्रिपाठी द्वारा लिखित भिंडी और टमाटर पर कीटनाशकों का सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग। डॉ. जेके दुबे, प्रधान अन्वेषक एआईएनपी पीआर, यूएचएफ नौणी ने इस मौके पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में एआईएनपी ऑन पीआर के प्रधान अन्वेषक डॉ. बलविंदर सिंह, जिनका पिछले महीने निधन हो गया, के लिए एक शोक संदेश भी पढ़ा गया।

इस मौके पर डॉ. पीके चक्रवर्ती, पूर्व एडीजी और सदस्य एएसआरबी, डॉ. केके शर्मा, पूर्व राष्ट्रीय समन्वयक एआईएनपी ऑन पीआर, डॉ. रविंदर शर्मा, निदेशक अनुसंधान, डॉ. दिवेंद्र गुप्ता, निदेशक विस्तार शिक्षा और सभी वैधानिक अधिकारी और विभाग अध्यक्ष उपस्थित रहे।

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मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई।
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