बजट अभिभाषण पर चल रही चर्चा में रामलाल ठाकुर ने लगाए आरोप
जल जीवन मिशन के अंर्तगत प्रदेश में लगाए गए नलकों पर श्रीनैना देवी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामलाल ठाकुर ने सवाल उठाए है। रामलाल ठाकुर ने सवाल उठाया है कि बजट अभिभाषण के दस्तावेज में सरकार ने लिखा है कि प्रदेश में 15 लाख 89 हजार परिवारों को पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश में कुल 14 लाख 70 हजार परिवार है। ऐसे में सरकार ने 15 लाख 89 हजार नलके कहां लगाए है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जलजीवन मिशन के तहत लूटपाट हो रही है। पाइपे तो बिछ रही हैं, लेकिन पानी कहां से आएगा इसका कोई पता नहीं है।
विधायक रामलाल ठाकुर बजट अभिभाषण पर चल रही चर्चा में भाग लेते हुए बोल रहे थे। रामलाल ठाकुर सवाल उठाया है कि बजट बुक में अच्छे शब्दों का प्रयोग हुआ हैं, लेकिन विधायक दिल पर हाथ रख कहें कि क्या इन पर खरे भी उत्तरे है। सरकार ने अपने दृष्टिपत्र में प्रदेश के कर्जा मुक्त प्रदेश करने की घोषणा की थी, लेकिन सरकार अब कर्जे में डूब गई है। सरकार ने बजट में इस बात का बिलकुल जिक्र नहीं किया है कि प्रदेश में पैसा कहां से आएगा।
किसानों बागवानों की स्थिति बहुत खराब है। किसानों व सेब उत्पादकों को पूछने वाला कोई नहीं है। सेब के बूटे की कीमत 100 से 150 हो गई है। एक साल पहले हुई बारिश व बर्फबारी से हुए नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। गैस सिलेंडर मुफ्त में देने की घोषणा तो कर दी हैं, लेकिन कीमतें कैसे कंट्रोल होगी इस पर विचार नहीं किया जा रहा है।
डॉक्टर मनमोहन सिंह के समय में रसोई गैस की कीमत 372 रुपए थी, लेकिन अब 1100 के पार है। वन विभाग के हालात भी काफी खराब है। हर साल 30 लाख पौधे लगाने की बात की गई। हर बार सरकार पौधारोपण करती है। इन पौधों को बचाने के लिए कोई काम नहीं करता है। हमारे यहां पर इन दिनों खैर के पेड़ो का काटने का सीजन चला हुआ है। पेड़ो की मार्किंग के लिए पटवारी, कानूनगो और फोरेस्ट गार्ड 292 रुपए प्रति पेड़ मांग रहे हैं।
रामलाल ठाकुर ने कहा कि कर्मचारियों की पैंशन पर सरकार ने कुछ नहीं किया। सरकार ने स्वर्ण आयोग का गठन कर दिया लेकिन पुरानी पैंशन नहीं दी। स्वर्ण आयोग के गठन से क्या हासिल होगा। स्वर्ण आयोग बनाने का क्या औचित्य है, प्रदेश में जब राजपूत बोर्ड, ब्राहम्ण बोर्ड, गद्द बोर्ड व अनुसूचित जाति बोर्ड का गठन पहले से ही है। प्रदेश के अस्पतालों स्टाफ स्ट्रेंथ आज भी 20 साल पहले की तरह हैं, लेकिन मरीज़ो की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई है। पैरा मेडिकल स्टाफ की तरफ सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।