अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में प्राकृतिक खेती पर लगाई गई प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस प्रदर्शनी को न केवल किसान और हिमाचल के लोग बल्कि देश-विदेश के पर्यटक भी सराह रहे हैं।
कृषि विभाग कुल्लू की आतमा परियोजना द्वारा दशहरे के मौके पर प्राकृतिक खेती, इसके फायदों और सरकार द्वारा दिए जा रहे उपदानों के बारे में जागरूकता के लिए यह प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी में प्राकृतिक खेती से तैयार रसायनरहित उत्पाद विशेष तौर पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
आतमा परियोजना की निदेशक डॉ. रितु गुप्ता ने बताया कि प्राकृतिक खेती पर लगी इस प्रदर्शनी को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल जी ने भी भी प्रदर्शनी में आकर प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी ली और इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।
डॉ. रितु ने बताया कि स्थानीय किसानों और पर्यटकों को बिना रसायनों के प्रयोग से न्यूनतम लागत में की जाने वाली इस खेती विधि और इससे पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता में सुधार किस तरह हो रहा है इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में पहुंच रहे किसान न केवल इस विधि के प्रति रूचि दिखा रहे हैं अपितु इसे अपने खेत-बागीचे में अपनाने का आश्वासन भी दे रहे हैं।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में 1.94 लाख किसान-बागवान प्राकृतिक खेती से 34,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में विविध फसलें ले रहे हैं। माननीय मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती तेजी से आगे बढ़ रही है। किसानों को प्राकृतिक खेती के उत्पादों का बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा देशभर में सबसे अधिक 30 रूपए प्रति किलो की दर से मक्की की खरीद शुरू की जा रही है।
प्रदर्शनी में देश-विदेश के लोगों की जुट रही भीड़ स्पष्ट रूप से दिखा रही है कि प्राकृतिक खेती केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आकर्षण का केंद्र बन रही है। अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव ने न केवल सांस्कृतिक समागम का अवसर प्रदान किया है बल्कि प्राकृतिक खेती के महत्व को भी उजागर किया जो किसानों के लिए एक स्थायी और लाभकारी विकल्प सिद्ध हो सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरे में प्राकृतिक खेती बनी आकर्षण का केंद्र
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