रोहित पराशर, शिमला
टीबी उन्मूलन में हिमाचल प्रदेश के प्रयास सराहनीय हैं। इन प्रयासों को और अधिक गति देने के लिए अब हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा और शिमला में क्षय रोग टीबी को हराने के लिए टीबी चैंपियन बनाए जाने हैं। टीबी चैंपियन ऐसे लोग होंगे, जिन्होंने स्वयं टीबी रोग को मात दी है। वे उपचाराधीन टीबी के मरीजों का मनोबल बढ़ाकर टीबी से लड़ने में मदद करेंगे। टीबी चैंपियन बनने वालों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर महीने पांच से आठ हजार रुपये का मानदेय भी दिया जाएगा।
डीटीओ कांगड़ा डॉ आरके सूद ने बताया कि ग्लोबल फंड संस्था भारत में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए भारत सरकार की सहयोगी संस्था रीच (रिसोर्स ग्रुप फॉर एजुकेशन एंड एडवोकेसी फॉर कम्यूनिटी हेल्थ) के साथ मिलकर प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में पूरे भारत में टीबी चैंपियन बनाए जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा और शिमला में भी रीच संस्था के माध्यम से टीबी चैंपियनों को तैयार किया जाएगा। संस्था के रिसोर्स पर्सन टीबी को मात देने वाले लोगों को प्रभावशाली संवाद और सार्वजनिक मंच पर आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखने के लिए तैयार करेंगे।
डॉ सूद ने बताया कि फरवरी या मार्च माह के अंत में चुने हुए टीबी चैंपियनों को चार दिन का जरूरी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। टीबी से स्वस्थ हुए जो लोग टीबी चैंपियन बनकर भारत को टीबी मुक्त बनाने में सहयोग देना चाहते हैं। वे अपनेअपने क्षेत्र के खंड चिकित्सा अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। वहींए टीबी चैंपियन के रूप में बेहतर प्रदर्शन करने वाले चैंपियनों को विभाग के अभियान में भी अहम भूमिका दी जाएगी।
जीपीडीपी का हिस्सा बनेगा टीबी उन्मूलन कार्यक्रम
डॉ सूद ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में अब टीबी रोग को खत्म करने के लिए टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को जीपीडीपी (ग्राम पंचायत विकास योजना) के साथ जोड़ा जाएगा। इसके जरिए पंचायतों में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को मुख्यधारा में लाया जाएगा।
साथ ही पंचायतों में टीबी से स्वस्थ हो चुके लोगों को मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनवाने उन्हें काम दिलवाने टीबी रोगियों को पोषक तत्व मुहैया करवाने का काम काम सौंपा गया है। इसके अलावा नुक्कड़ नाटक और अन्य परंपरागत माध्यमों से टीबी से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।