मंडी जिला के नांज गांव के नेकराम, मोटे अनाजों के स्वास्थ्य के लिए फायदे बताकर किसानों को इन्हें उगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, 40 तरह के बीजों का बनाया है बीज बैंक
हिमाचल के मंडी जिले के नांज गांव के नेकराम शर्मा ने 40 तरह के अनाजों का एक अनुठा बीज बैंक बनाया है। इन बीज बैंक कई ऐसे अनाज भी हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई ऐसे अनाज हैं जिनके बारे में आपने सूना भी नहीं होगा। जी हां नेकराम ने एक ऐसा बीज बैंक तैयार किया है जिसमें दर्जनों पुराने अनाजों को भविष्य के लिए सहेजने का काम किया जा रहा है। नेकराम शर्मा ने सिर्फ इन अनाजों को बचा रहे हैं, बल्कि इन्हें भविष्य के लिए बचाए रखने के साथ इन्हें प्रदेश और देश के विभिन्न स्थानों के किसानों तक पहुंचाकर इन्हें बढ़ावा देने का काम भी कर रहे हैं। नेकराम अभी तक 10 हजार किसानों को बीज बांट चुके हैं। नेकराम ने बताया कि उन्होंने बीजों को बचाने का काम 1992 में शुरू किया था। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में हरित क्रांति का जोर था, इस दौरान मैंने देखा कि जो बीज हम ले रहे थे उनसे हर साल उत्पादन घट रहा है और कृषि लागत बढ़ रही है। जबकि जो पुराने बीज थे उनमें उत्पादन भी सही था और लागत भी न के बराबर थी। बस फिर क्या था मैनें हाईब्रीड बीजों के स्थान पर लोकल बीजों के प्रयोग को बढ़ाया और मुझे अच्छे परिणाम मिलने लगे। इसके बाद मेरी देसी बीजों के प्रति दिवानगी बढ़ती गई और आज मैं अपने खेतों में स्थानीय बीजों का ही प्रयोग करता हूं।
इन पुराने अनाजों को बचा रहे हैं
नेकराम शर्मा बेहद पोषणयुक्त चिणा, कोदा, काउणी, बाजरा, ज्वार, मसर, शौंक, रामदाना, चार तरह के चावल की किस्में, 5 तरह की गेहूं की किस्में, 4 तरह की मक्की, तीन तरह का जौ, चौलाई, राजमाह, सोयबीन, माश की दाल और अन्य कई तरह के पुराने अनाजों को बचा रहे हैं। नेकराम शर्मा इन बीजों को निशुल्क अन्य किसानों को देते हैं और उन किसानों को इस बीज का एक-एक मुट्ठी अन्य 10 किसानों को देने के लिए कहते हैं। इसके अलावा वे व्यक्तिगत तौर पर अभी तक 10 हजार से अधिक किसानों को बीज बांट चुके हैं।
लोगों को कैसे किया तैयार
नेकराम शर्मा ने लोगों को मोटे अनाजों के प्रति जागरूक करने के लिए पहले तो स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों का सहयोग लिया। उन्होंने डाक्टर के माध्यम से लोगों को बताया कि मोटे अनाज किस तरह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। नेकराम ने डाक्टरों को विभिन्न गांवों में ले जाकर वहां कैंप लगाए और इनमें डाक्टर के मुंह से मोटे अनाजों के लाभों के बारे में कहलवाया। इसके बाद लोगों की रूचि मोटे अनाजों के प्रति बढ़ी। इसके बाद इन्होंने विभिन्न स्थानों से एकत्रित किए हुए पुराने अनाजों के बीजों की एक-एक मुट्ठी किसानों को बांटना शुरू की। इससे लोग जुड़ते गए और आज मंडी ही नहीं हिमाचल के लगभग सभी स्थानों में लाखांे किसान छोटे स्तर पर पुराने अनाजों को उगाना शुरू कर चुके हैं।
नेकराम की पत्नी रामकली ने को बताया कि शुरू में तो मुझे पुराने मोटे अनाजों के प्रति अपने पति की दिवानगी अजीब सी लगी। कई लोग इन्हें पागल भी कहने लगे थे लेकिन जब मैंने मोटे अनाजों के महत्व और इनसे होने वाले फायदों को समझा तो मैं भी उनका साथ देने लग गई। अब मैं बीजों को संभालकर रखने और तैयार फसलों से बीजों की छंटाई में अपने पति की मदद करती हूं।
नेकराम मोटे अनाजों को प्राकृतिक खेती विधि से उगाने के लिए किसानों को प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं कि जितने भी मोटे अनाज हैं इन्हें रसायनों की जरूरत नहीं होती। ये कम पानी और विकट परिस्थितियों में भी अच्छी तरह बढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि इनमें बीमारियां भी बहुत कम आती हैं और इनमें पैदावार बहुत अच्छी होती है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इन मोटे अनाजों को 20 से 30 वर्षाें तक साधारण भंडारण परिस्थितियों में अच्छी तरह से रखा जा सकता है।