पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से पहुंच सके इसके लिए कबाड़ हो चुके स्कूटर इंजन से महज 25 हजार खर्च कर इस इंजीनियर ने बनाया हैंड ट्रेक्टर
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जनक और उनके दोस्तों ने किताबी ज्ञान को समझने के लिए अपने इंस्टीट्यूट के पास ही एक वर्कशाॅप शुरू की और इसमें वे गाडियों और अन्य उपकरणों को ठीक करने का काम कर रहे थे, तभी उनके पास पहले ही महिने में एक दर्जन से भी अधिक पावर टिल्लर को ठीक करवाने के लिए किसान पहुंचने लगे। किसानों के लिए सस्ते और टिकाउ हैंड ट्रेक्टर का अविष्कार करने वाले इंजीनियर जनक बताते हैं मेरा बचपन से ही मशिनों के साथ प्यार रहा है और जब मैं खराब पावर टिल्लर को ठीक कर रहा था, तभी मुझे लगा कि बार-बार खराब होने वाले पावर टिल्लर से किसानों के समय के साथ पैसे की भी बहुत भारी हानि होती है। इसलिए क्यों न कोई ऐसी टिकाउ मशिन तैयार की जाए जिससे किसानों के समय के साथ पैसे की भी बचत हो। जनक बताते हैं कि किसानों के लिए टिकाउ और सस्ता हैंड ट्रेक्टर बनाने के काम में वे और उनके दो दोस्त विनीत ठाकुर और राकेश शर्मा लगातार एक माह तक काम करते रहे। जनक बताते हैं कि इसमें उन्होंने पुराने कबाड़ हो चुके बजाज स्कूटर के इंजन का प्रयोग किया है और इसमें कुल लागत 20 हजार रूपये आई है। जबकि बाजार में पावर टिल्लर की कीमत 60 से डेढ़ लाख रूपये के बीच में है।
एक लीटर पैट्रोल में एक बीघा की जोताई
जनक बताते हैं कि स्कूटर के इंजन से तैयार हुए इस हैंड ट्रेक्टर की कार्यदक्षता दूसरे पावर टिल्लर से कहीं अधिक है। वहीं इसमें एक लीटर पैट्रोल से एक बीघा भूमि को दूसरे पावर टिल्लर के मुकाबले में जल्दी और आसानी से किया जा सकता है। हैंड ट्रेक्टर की खुबियां बताते हुए जनक बताते हैं कि इसे खेतों तक पहुंचाना बहुत ही आसान है। इसे आसानी से दो हिस्सों में खोलकर कहीं भी खेतों में पहुंचाया जा सकता है। वे कहते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों के खेत न ही तो साथ में होते हैं और न ही रास्ते सीधे होते हैं, ऐसे में भारी-भरकम पावर टिल्लर को दूर-दूर बने खेतों तक पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा इसमें अपनी सहुलियत के हिसाब से हल भी अडजस्ट किए जा सकते हैं जो कि अन्य पावर टिल्लर में आसानी से नहीं किये जा सकते हैं।
’पावर टिल्लर के स्पेयर पार्ट बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। लेकिन देश के किसी भी कोने में स्कूटर के स्पेयर पार्ट आसानी से मिल जाते हैं। इसलिए पुराने स्कूटर के इंजन से बने इस हैंड ट्रेक्टर को रिपेयर करने में भी किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता’
ऐसे काम करता है हैंड ट्रैक्टर
खेतों में अधिकतर हैंड ट्रैक्टर का प्रयोग किया जा रहा है। हैंड ट्रैक्टर में चार ब्लेड लगी होती है। यह इंजन के साथ जोड़ा होता हैए जिसे स्टार्ट करने के बाद यह जोताई का काम करता है। इसे हाथ से पकड़कर प्रयोग में लाया जाता है। इसका बजट काफी कम हैए अकेला व्यक्ति दो हिस्सों में करके इसे खेत तक पहुंचा सकता है इसके अलावा इसमें छोटा हल प्रयोग करने के साथ, यदि अधिक जगह पर जोताई करनी है तो उसके लिए भी अलग से हल हैं। पहली बार जोताई के लिए अलग हल का प्रयोग किया जा सकता है जबकि दूसरी बार के लिए अधिक स्थान पर जोताई के लिए सक्षम हल का प्रयोग करके पैट्रोल, समय और मेहनत में भी कमी लाई जा सकती है।
राष्ट्रीय स्तर पर पा चुके हैं अवार्ड
हैंड ट्रेक्टर के अविष्कार के लिए इंजीनियर जनक को नेशनल आवार्ड फार स्कील डेवल्पमेंट और न्यू इनोवेशन के लिए भी नेशनल आवार्ड से 2017 में सम्मानित किया है। जनक बताते हैं कि इसके अलावा हिमाचल सरकार की ओर से भी उन्हें कई बार कई बड़े-बड़े मंचों में सम्मानित किया जा चुका है।
अभी तक 500 छात्रों को निशुल्क दे चुके हैं ट्रेनिंग
इंजीनियर जनक हिमाचल के सोलन जिला के क्यारीमोड में रिसर्च और डेवल्पमेंट इंस्टीट्यूट चलाते हैं। वे बताते हैं िक इस इंस्टीट्यूट में जो भी आईटीआई, इंजीनियरिंग काॅलेज के बच्चे प्रशिक्षण के लिए आते हैं, वे उनसे किसी भी प्रकार की फीस चार्ज नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में वे 500 से अधिक बच्चों को निशुल्क प्रशिक्षण दे चुके हैं। इसके अलावा जनक अपने इंस्टीट्यूट और वर्कशाॅप में आने वाले जरूरतमंद और मजबूर लोगों की मदद करने में भी पिछे नहीं रहते हैं। लोगों की मदद के कई किस्से सुनाते हुए जनक कहते हैं कि मशिनों से मुझे प्यार है और इंजीनियरिंग मेरा पेशा नहीं पैशन है। इसलिए इसे में लोगों की भलाई के लिए समर्पित करना चाहता हूं।
’बहुत से किसानों के कृषि उपकरणों की मैं निशुल्क रिपेयर करता हूं और उनसे मेरा नाता सा जुड़ गया है, इससे मुझे बहुत खुशी महसूस होती है।’
एक्सीडेंट के कारणों का पता लगाने में भी हैं माहिर
जनक हिमाचल पुलिस के एक्सीडेंट सर्वेयर के रूप में भी काम करते हैं और इस दौरान वे एक्सीडेंट के कारणों का पता लगाते हैं। वे बताते हैं कि कई बार लोग उन्हें दुर्घटनांओं की सूचना देते हैं तो वे बिना देरी के मौके पर पहुंचते हैं और लोगों की सहायता करते हैं। इसके अलावा हाल ही में कोरोना संक्रमण की वजह से हुए लाॅकडाउन की वजह से जहां एक तरफ सभी वर्कशाॅप बंद पड़ी थी वहीं दूसरी तरफ जनक ने अपनी वर्कशाॅप को खुला रखकर अस्पताल, पुलिस और अन्य जीवनरक्षक सेवाओं में लगे वाहनों की मरम्मत का काम कर एक जिम्मेवार नागरिक होने का उदाहरण पेश किया है।
’मुझे लगता है कि कृषि-बागवानी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इसलिए इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आगे भी अन्य रिसर्च के काम में जुटा हूं। हैंड ट्रैक्टर को किसानों तक पहुंचाने के लिए इसके बड़े स्तर पर प्रोडक्शन के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं’
इंजीनियर जनक अपने अविष्कार के लिए किसानों को प्रेरणा मानते हैं इसलिए कहते हैं कि भविष्य में भी अपने नए-नए अविष्कारों से किसानों को खेती-बाड़ी में कैसे सहुलियतें मिलें इसपर काम कर रहे हैं।